2014 से 2019 के बीच चीन से एफडीआई में पांच गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। लेकिन 2020 में इसमें भारी कमी आई। देश में प्राइवेट कंपनियों के फाइनेंशनल ट्रांजैक्शंस और उनके वैल्युएशंस पर नजर रखने वाले वेंचर इंटेलिजेंस के आंकड़ों के मुताबिक चीन और हांगकांग स्थित फंड्स का निवेश 2019 के 3.5 अरब ड़ॉलर से घटकर 2020 में 1.05 अरब डॉलर रह गया। अगर सामान्य रूप में एफडीआई का फ्लो देखें तो भी अप्रैल से सितंबर 2020 की अवधि में चीन से महज 5.5 करोड़ डॉलर की एफडीआई दर्ज हुई जो पिछले तीन साल के दौरान किसी भी छमाही में दर्ज हुई सबसे कम राशि है। इसका स्वाभाविक असर देश के अंदर चल रही चीनी कंपनियों के कारोबार पर और उससे जुड़े लोगों की कमाई तथा उनके रोजगार पर पड़ रहा था। इस लिहाज से दोनों देशों के बीच तनाव में कमी और व्यापारिक गतिविधियों में इजाफा निश्चित रूप से एक पॉजिटिव डिवेलपमेंट है।
मगर यह बात भुलाई नहीं जा सकती कि चीनी सेना ने पिछले साल मार्च-अप्रैल में एकतरफा कार्रवाई करते हुए एलएसी पर यथास्थिति में बदलाव ला दिया। सैन्य टुकड़ियों के मौजूदा आमने-सामने स्थिति से पीछे लौटने को लेकर सहमति बन जाने के बावजूद सीमा पर अप्रैल से पहले की स्थिति अभी बहाल नहीं हो सकी है। जब तक ऐसा नहीं हो जाता तब तक सीमा पर स्थितियों को सामान्य नहीं माना जा सकता। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि तनाव में कमी और व्यापारिक गतिविधियों में बढ़ोतरी के बीच भी सीमा पर साल भर पहले वाली स्थिति बहाल करने का मुद्दा कमजोर न पड़े। जब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं कर लिया जाता तब तक न तो सीमा पर स्थिति सहज मानी जाएगी, न ही दोनों देशों के औद्योगिक-व्यापारिक रिश्तों में कुछ खास गरमाहट वापस आ सकेगी।